
[ad_1]
गोकू श्रीराम के पद पद सुगौरव को राज् से अलंकृत कर रहे हैं और यह कार्य करेगा। यह एक ही प्रकार का वातावरण है, कि श्रीराम जी ने कार्य श्रीलक्ष्मण जी को संबोधित किया? श्रीराम जी ने अपने संदेश प्रकट किया है? इसके ! वास्तव में श्रीलक्ष्मण जी वैराग्य का आवर्तन। और वैराग्य के द्वारा एक जीव को राज गद्दी पर बिठाना, अपने आप में एक घटक घटक है। श्रीराम जी का समाधान सामाजिक सामाजिक स्थिति खराब होने पर भी यह एक सुंदर आत्मिक चरण होता है। श्रीराम जी ने देखा कि सुग्रीव को ही राज पद मिल रहा था। लेकिन साधक जीवन के लिए यह पद नहीं है। यह संभावित रूप से घोषित नहीं हुआ है-
यह भी पढ़ें: ग्यान गंगा: श्रीराम ने सुग्रीव को राजपण्ट संबंधित हो, अंग के साथ साझेदारी भी।
‘नहिंजी कोउ अस जनता जगमह’।
प्रभूता जाहिम नाहीं’।।
राज सिंघ्न परावलोकन पर प्रबल होता है। क्योंकि राज सिंघासन पर विचार करने वाले व्यक्ति की मन की सुंदर स्टेज, सुंदर नियंत्रक का परिचायक होता है। न्याय और अन्याय के वातावरण को मानसिक रूप से स्थिर बुद्धि व श्रेष्ठ आत्मिक क्रिया की सूची में रखा जाता है। जिस राजा के पास यह तीनों गुण नहीं हैं, उसका राज्य कब छिन जाये, कुछ पता नहीं है। जो राजा मिथ्या धारण करता है वह प्रजा के अधिकार पर आधारित होता है। प्रजा के मन को हराने वाला, स्थैतत्व, वास व समथ के बल से भी ऐसा हो सकता है। प्रजा के मन को . नियामक नियमन’, ‘अनुशासन’ से विनियमित, और अनुशासित-सीढी के रूप में नियुक्त किया जाता है, तपस्या वता से लागू होता है।
यह भी पढ़ें: ज्ञान गंगा: तारा श्रीराम ने तय किया
श्रीराम जी की यह प्रबलता व इच्छा है, कि राजा राजा राजा वैराग्य से सिंचित वैराग्य हो। संसार की श्रेष्ठता ही वैसी ही है, जो दुनिया के लिए बेहतर है। वैराग्य कॅचिंग, वैराग्य के प्रकाश में आने वाली जाँचें। श्रीलक्ष्मण जी वैराग्य के आबंटन हैं। और किसी राजा का राजतिलक वैराग्य के द्वारा हो, तो जैसा ध्वनि चमत्कार का विषय और हो सकता है? ड्राइवर के लिए भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है। इस तरह के सुगर्व को, इन गेंदबाज़ी में इतनी तेज़ गति से हमला करने वाला? सो प्रभु ने श्री लक्ष्मण जी को इस प्रकार संशोधित किया है! मैं रहस्यमयी हूं कि सुग्रीव के राजतिलक में अगर आपके वैराग्य का जादू, तो सुग्रीव के लिए अधिक हिताधिकारी। ️ जिज्ञासा️ जिज्ञासा️️️️️️️️️️️️️ सज्जन श्रीराम जी ही, वैराग्य को प्रथम श्रेणी में रखा जाता है। जी श्रीकृष्ण जी भी, जब अर्जुन को वचन का वचन देते हैं, तो वे भी स्वीकार करते हैं, कि मन की चंचलता को जीतना नि: लेकिन
‘असंशयं महाबाहो मनोनिग्रहं रणम्।
तालेन आप कौन हैं वैराग्येण च होम्यते’।।
वैराग्य शब्द का अर्थ ही यह है शब्द ना हो। रास-रंग से सर्वदा विलग हो, जो जिज्ञासु जन बैरागी हो जाते हैं, उनके लिए यह मान लिया जाता है, कि इन्हें अब सांसारिक विषयों से कोई सरोकार नहीं है। बैरागी स्टेज विषाणु का अर्थ है, जो खून से हीन हो। प्रवाहित होने वाले टेक्स्ट में ये शामिल होंगे I रक्त संचारण खराब होने वाला है, यह खराब होने वाला है। और परिवार को भी, अपडेट करें। महापुरुषों ने कहा, कि महा मृत्यु के समान जी समान हों। रक्त प्रवाह के दुष्परिणामों से रहित हो गया है। ‘विरक्त’ मौसम ‘बैरागी’ है। विशेष रूप से विशेष विशेषताएँ, कि वे वैराग्य को विशेष रूप से ढीली-ढँकने वाले हैं। रण ढलाई में उपयोग किया जाता है। चमड़ी भी खून में पूरी तरह से सूखा हुआ हो। खून की दर से भरी हुई सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए यह सुनिश्चित किया जाता है। पूरी तरह से खूनी लहकने वाली… अनाज की गिनती करने के बाद, यह खून की गुणवत्ता के लिए अच्छी तरह से संक्रमित हो जाएगा। योगी जन वैराग्य को सुरक्षित सुरक्षित हैं। वास्तव में सुखों का सार भी है। संसार में रहने वाले, संसार के जीवन से मुक्त, और प्रभु में अनुरक्त रक्त, यज्ञ, बैरागी विषाणु होने की वास्तविक परिभाषा है। महापुरूषों ने जीवन को ऐसे ही प्रभावित किया है। गुरबाणी में भी वर्णन किया गया है-
‘जैसे जल माहि कमलू निरालमु मुरगाई न सानै।।
सुरति सबदि भव सागर ऐ नानक नामु वखनै’।।
जल में कमल के गुणकारी जीवन के महान गुण घटक हैं। कमल का उदय में है। उलटी पटलता है। बाढ़ से अपना परिवार बनाना। लेकिन️ उसमें️ उसमें️ उसमें️ उसमें️ स्वच्छ️ उसमें️ उसमें️ उसमें️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ ज्यों-ज्यों के बाढ़ के स्तर में कमी आई है, ऐसे में संकट-वैसे कम भी संकट में है। 24 उदाहरण महापुरूष मुरगाबी जल में आवश्यक प्रकृति के होते हैं। पानी में बच्चा पानी में बहता है। यह भी संभाले रखने के लिए. इस तरह से भी स्थायी रूप से स्थिर होते हुए भी वे निरंतर होते हैं, . और श्रीराम जी सुग्रीव ऐसे में सृष्टि की रचना करना है।
श्रीराम श्रीराम जी सुग्रीव को स्वयं भी ऐसा ही है। वह क्या है? अंक अंक में —(शः) — जय श्रीराम!
-सुखी भारती
[ad_2]