Home स्वास्थ्य अस्थमा के मरीजों के लिए वरदान है नालों के किनारे मिलने वाला कांटेदार पौधा! ऐसे करें सेवन

अस्थमा के मरीजों के लिए वरदान है नालों के किनारे मिलने वाला कांटेदार पौधा! ऐसे करें सेवन

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सौरभ वर्मा/रायबरेली: हमारे आसपास ऐसे हजारों पेड़-पौधे और घास मौजूद हैं, जिनका उपयोग दवाओं के निर्माण में होता है .आयुर्वेद में ऐसे पेड़-पौधों को बहुत महत्व दिया जाता है. अक्सर जब जड़ी-बूटियों की बात होती है, तो तुलसी, गिलोय या आंवला की सबसे ज्यादा बात होती है. लेकिन कई ऐसे पौधे हैं जिनको बहुत अधिक महत्व नहीं मिल पाता .ऐसा ही एक पौधा है कटेरी का पौधा. आयुर्वेद में कटेरी को औषधि माना जाता है. यह एक प्रकार का कटीला पौधा है. इसमें एंटी अस्थमा के गुण पाए जाते हैं. इसे कई नामों से जाना जाता है. कुछ जगहों पर कंटकारी, तो कुछ जगहों पर भटकटैया कहा जाता है.

कटेरी को पौधा नहर एवं नालों के किनारे पाया जाता है. जिस पर पीले एवं बैंगनी रंग फूल होते हैं एवं इसकी पत्तियां कंटीली होती हैं. आयुर्वेद में इसका उपयोग विभिन्न रोगों का उपचार में किया जाता है. इसकी कई अन्य प्रजातियां भी पाई जाती हैं जिन्हें छोटी बड़ी और श्वेत कटेरी भी कहते हैं. कंटकारी का मतलब होता है जो गले के लिए अच्‍छी हो. ये अस्थमा गले में खराश आदि समस्‍याओं को दूर करने की क्षमता रखता है.

इन रोगों के इलाज में कारगर
रायबरेली की आयुर्वेदिक चिकित्सक डा.आकांक्षा दीक्षित (एमडी आयुर्वेद) के मुताबिक यह पौधा शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. यह कफ और पित्त की समस्याओं को दूर करने में बेहद कारगर होता है. इसका उपयोग कई दवाओं के निर्माण में किया जाता है. इस पौधे की पत्तियां, जड़, फूल सभी औषधि है. इसका स्वाद कड़वा और तासीर गर्म होती है. यह मूत्र संबंधी रोग, बुखार, पथरी को सही करने में कारगर होता है.

इस मात्रा में करें सेवन
डॉ. आकांक्षा दीक्षित बताती हैं कि इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से अस्थमा सही हो जाता है. इसके अर्क का दूध या पानी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है. इसके बीजों का धुआं लेने से दांत का दर्द एवं कीड़े गायब हो जाएंगे. इसकी जड़ का उपयोग पथरी के इलाज के लिए किया जाता है. इस जड़ी बूटी का पूरा पौधा, जड़ और फल उपयोग में लाया जाता है. इसका पाउडर 1 से 3 ग्राम, काढ़ा 40 से 80 मि.ली लेना सुरक्षित माना जाता है. डॉ. आकांक्षा दीक्षित बताती हैं कि मरीज की स्थिति और बीमारी के आधार पर इस जड़ी बूटी का रूप और खुराक निर्धारित की जाती है.

Tags: Health News, Life18, Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News Hindi

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Native-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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