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गणेश चतुर्थी का पर्व 10 : गणेश ब्रह्म और सूर्य योग में गणेश की स्थापना के साथ पूजा की व्यवस्था। इस बार गणेश आकाशगंगा में हैं। इस संबंध में आपस में संबंध स्थापित करें। सूर्य अपनी राशि सिंह, बुध अपनी राशि कन्या, शनि राशि मकर राशि और शुक्र आपकी गणना में। मिथुन राशि राशि चक्र में। मकर राशि में दो बड़े ग्रह गुरु और शनि ग्रह हैं। पौल बालाजी सूर्यवंशी जोधपुर- जोधपुर के ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने जैसा कि गणेश चतुर्थी पर गठित किया था। पहली बार 1962 में इस तरह का योग बना। चंद्र शुक्र के साथ तुला राशि था। सूर्य, बुध, शुक्र और शनि ग्रह- राशि में स्थिति। यह विशेष रूप से संतुलित है।
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श्रीगणेश की गंध को गंधक से स्वास्तिक बनाने वाला व्यक्ति इस तरह से स्थापित होता है। उत्तर की ओर मुख कर गणपतिपूर्जन करें। अगर गणेश चतुर्थी पर गणपति जी को स्थापित करते हैं तो हमेशा ईशानी की, पूर्व दिशा या उत्तर में। ये तीनों सूत्र सूत्र श्रीगणेश की स्थापना के लिए सर्वोत्कृष्ट हैं। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने गणपति जी को लकड़ी की चौकी पर पीला या लाल रंग का वस्त्र विराजमान किया। साथ ही जलने का दीपक और जलाकर प्रातःकाल वसाय आरती। साथ ही मोदक वमचूर के लड्डू का भोग-विलास। बाल गणेश का प्रिय भोग-केसर, तीट दूध, मोबी के लड्डू, डक, कदली फलला, आम, पीता हैं। श्रीगणेश जी को तुलसी, तुलसी मिश्री, तुलसी के स्वाद के साथ। सुगन्धित गणेश की से सुखी-शांति और प्रसन्ना की उपस्थिति में है। पर्यावरण कि गणेशी के शरीर में आंतरिक रूप से वर्ण होते हैं। रंग तैयार किया गया है।
गणेश चतुर्थी
चतुर्थी तिथि- 9 मई 12 :18 से
चतुर्थी तिथि- 10 बजे तक दिनांक 9:57
गुडू गणेश की स्थापना का शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता और कुण्डली नेष्टा व्यास ने दिनांक 10 2021 को सुबह 12 बजे से 1 बजे के बीच गणेश स्थापित किया।
गणेश चतुर्थी के दिन
पर्यावरण की दृष्टि से यह सही है। अगर भूलवश चंद्रमा के दर्शन कर भी लें, तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की ओर फेंक दें।
पूजा सामग्री
कुंडलाकार अनीष ने व्यास की पूजा के लिए चौकी, लाल वस्त्र, कल गणेश की प्रतिमा, जल काश, पंचामृत, रोली, अक्षत, कलावा, लाल वस्त्र, जनेऊ, गंगाजल, सुपारी, इलाइची, आरतीसा, कोनी, ब्राइड का काम किया। , लोयंग, लोंग, पंचमेवा, चोट, पैनकूप, दीप, पुष्प, भोग का समान इकट्ठा कर लें।
गुडग़ांव गणेश को लक्ष्मीभोज
भविष्यवक्ता और कुण्डली के अण्डावाचक अव्यवसायी थे। 🙏 गणपति जी को कीटाणु ने कीटाणु नें गणेश उत्पन्न किया और पेश किया।
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पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नान-ध्यान द्वारा गणपति के व्रत का संकल्प लें। गणपति की सुंदरता के बाद फिर भी फिर गणेश जलजलाहट के बाद गणेश का आह्वान। गौक को गणेश पुष्पम, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा (घसा)ए। गणपति को मोदक के लड्डू, मन्त्रोच्चाचार से पुप्प करें। गणेश जी की कथा पढ़ें या नहीं, गणेश चालीसा का पाठ और अंत में आरती करें।
भविष्यवक्ता और कुण्डलीशक अष्टा व्यास ने गणेश चतुर्थी के आकार के हिसाब से गणपति का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।
मीन और वृश्चिक राशि के लोग भक्त लाल रंग के गणपति स्थापित करें।
वृष राशि और आपके रत्नों के रत्नों के लिए इन्हें चुना गया है।
मिथुन राशि वालों को हर रंग से गणपति प्रतिष्ठा मिलती है।
कर्क राशि के लोग श्वेत रंग की भाँति गणपति स्थापित करें।
सिंह राशि के व्यक्ति व्यक्ति के रंग के गणपति स्थापित करें।
धनु और मीन राशि के व्यक्ति के रंग की आभा गणपति स्थापित करें।
मकर और कुंभ राशि के व्यक्ति बाह्य अंतरिक्ष के रंग की भाँति गणपति स्थापित करते हैं।
– अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली
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