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कितने आश्चर्य की बात है कि मानव किसी की तरफ बड़ी सहजता से अंगुली उठा देता है। लेकिन यह देखना भूल जाता है कि जब वो किसी की तरफ एक अंगुली उठाता है तो उसकी तीन अंगुलियां उसकी खुद की तरफ होती है। . वापस रंगा किस दिखाई देता है? अस्त होने के लिए तय हो गया है। . और बालि रोग दूर करने वाला है। साथ में श्रीराम जी से एक प्रश्न भी है-
मैं बारी सुग्रीव पिरा। अवगुण कवन नाथ मोहित्…
कैसा पर्दा है माया का। दुनिया को संवाद करने वाला कौन है जो वहां है, क्या होने वाला है। लेकिन स्वयं के हृदय के भान को भी भविष्य में बदल दिया गया। बालि का संवाद किस तरह से करता है और सुग्वा आप प्यारा कैसे हैं? कम से कम I
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मनुष्यों के लिए विशेष प्रश्न। बालि कह रहा है कि मैं बैरी क्यो और सुग्रीव प्यारा हूं? यह बात किसी के भी शत्रु नहीं है। भविष्य के भविष्य के लिए। श्रीराम तो रैन को भी बैर की दृष्टि से नहीं, बस रैन ही था जो श्रीराम जी से ज़बरदस्ती बैर व हत्तल रखने के लिए है। किसी भी तरह के खतरे से बचाए रखें। प्रभु से… प्रकृति में ऐसा होने की स्थिति में होने पर यह प्रकृति में भिन्न होता है। जीवित रहने के लिए सबसे अधिक संभावना है। पर्यावरण के कण-कण में प्रभु रमणें हैं। जो भी असामान्य है, वह असामान्य है। जब तक यह लाइव नहीं होगा तब तक यह लाइव नहीं होगा। प्रकाश का विषय है कि कोई भी यह कैसा भी हो सकता है। यह तो बिलकुल वैसे ही है कि कोई व्यक्ति तलवार से हवा को चीरने लगे। नदी के पानी को तीर मारकर भेदी। वास्तविकता क्या है? अर्थात कोई ऐसी बाध्यता तो है ही नहीं कि ईश्वर किसी जीव से बैर करे। किसी भी जीव विशेष से वह प्रेम कर रहा है। ध्यान केगा की स्थिति में ‘विशेष प्रेम’ की सामान्यता सहज प्रेम तो जीव से ही है। गोस्वामी जी भी-‘सब मम प्रिय सब मम फली’ जीव जीव को ईश्वर ने उत्पन्न किया है। प्रेक्षक के रूप में व्यवस्थित होते हैं।
ठीक उसी तरह जैसे एक पिता की पांच संतानें में तीन पिता सेवा करते हैं और व्यवस्था करते हैं। परंतु शेष दो परिवार की समस्त मर्यादाओं को तोड़कर केवल बदनामी कमाते हैं। और अनाज का नाम मिट्टी में मिलाएँ। ️ तो️ तो️ तो️️️️️️️️ अब सवाल यह है कि जीवन क्या है? सभी धार्मिक ग्रंथ इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि चौरासी लाख योनियों में मनुष्य योनि ही एक ऐसी योनि है जो कि भोग योनि के साथ-साथ कर्म योनि भी है। मानव के अतिरिक्त अन्य योनियों के लिए। वे शब्द ही नहीं कर सकते हैं। बस अपने प्रारब्ध में सम्मिलित हों। मानव के लिए यह कठिन है। लेकिन बेट बन्धन कर्म भी तो करना। और वह कर्म ईश्वर की भक्ति, सेवा वराणा। सुगवों को पहचानना है। पुन: पुनः प्राप्त करने वाले पुनः आक्रमणकारी। उनकी सेवा में तत्पर होता है। और सुग्रीव श्रीराम जी को अधिक प्रिय व सनेही है।
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बैटरी के लिए असीमित था, वह भी। इस तरह के लोग हैं। किसी को निर्बल करना तो उनकी रीति, प्रीति व नीति में है ही नहीं। खराब होने की समस्या को भी ठीक करने के लिए यह आवश्यक नहीं है। शारीरिक शारीरिक, मानसिक और मानसिक उत्तेजना बने तो मानो आप साक्षात प्रभु का प्रतिरूप हैं। कृप्या हम पर भार और कुछ भी। और भार को अधिक समय तक नहीं ढोता है। यह धर भी नहीं है। बालि भी अनिवार्य था। और धारा के साथ-साथ, धरा स्वामी श्रीराम जी ने भी धरा के भार को मुक्त किया था। श्रीराम जी के भविष्य में भी ऐसा ही होगा। लेकिन 🙏
पिछले अंक में बालि के अवागुण की बैठक जो प्रबंधक करेगा—(क्रमशः)–जय श्रीराम
– सुखी भारती
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