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तीसरे चरण के चुनाव का मतदान आज

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बिहार में रूझान की स्थिति में संशय है। नेताओं के बयानों ने चुनावी उत्साह को नहीं बढ़ाया, बल्कि जनता में संदेह को गहरा किया। बिहार की जनता, सीमांचल के अररिया, कोशी क्षेत्र के मधेपुरा, सुपौल, खगड़िया, समेत मिथिलांचल के झंझारपुर संसदीय क्षेत्रों में मतदान करने के लिए तैनात हैं। इन क्षेत्रों में लगभग 60 हजार सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

– रूझान को लेकर संशय में बिहार

– नेताओं राज नेताओं की चुभने वाली बोल से भी चुनाव के प्रति उत्साहित नहीं हो पायी जनता

– सीमांचल के अररिया व कोशी क्षेत्र के मधेपुरा सुपौल खगड़िया सहित मिथिलांचल के झंझारपुर संसदीय क्षेत्रों में मतदान

– लगभग 60 हजार सुरक्षा बल तैनात

सीमांचल  (अशोक कुमार)

7 मई को होने वाले लोक सभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान को लेकर बिहार से दिल्ली तक में नेताओं और राज नेताओं ने जनता को अपने अपने पक्ष में आकर्षित करने के लिए जिस जिस तरह के भाषण दिए , उससे प्रतीत हुआ कि वोट की राजनीति की बाजी जीतने और बिहार जैसे क्षेत्र पर एकक्षत्र राज कायम करने के लिए नेताओं से राज नेताओं तक की वाणी से बिहार वासी स्वयं को असहज महसूस करना शुरू कर दिए हैं और गांव समाज से अलग थलग हटकर अपने घरों के अंदर ही चुनाव को लेकर मंथन करने में लगे हैं।

ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि लाख प्रयास के बाबजूद भी बिहार में लोक सभा चुनाव के मद्देनजर वोटों के प्रतिशत में बढ़ोत्तरी नहीं हो पा रही है और दूसरी ओर तीसरे चरण के मतदान की प्रक्रिया आते आते  नेताओं से राजनेताओं तक के भाषणों के बोल से आजिज़ हो रहे बिहार वासी चुनाव के प्रति उत्साहित नहीं हो पा रहे हैं।

विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से लेकर राज नेताओं तक की भाषणबाजी के नमूने इस बात के सबूत हैं कि जनता किस हद तक बिहार में इस बार की चुनावी राजनीति में आजिज हुई है।

दिल्ली में अपने भाषण के क्रम में प्रधानमंत्री द्वारा बेबाकी से राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को लेकर जब विना नाम लिए ही बोला गया कि एक शहजादा इस देश को और दूसरा शहजादा एक राज्य को अपनी जागीर समझ बैठा है तो बिहार वासियों को उक्त बोल चुभ गए।

हालांकि तत्क्षण ही उसी दिल्ली की एक चुनावी सभा को संबोधित करती हुई कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के द्वारा प्रधानमंत्री के उक्त बोल का ज़बाब दे दिया गया कि महलों के भीतर रहने वाले शहंशाह को चूंकि देश दुनियां की गरीबी बदहाली से कुछ लेना देना नहीं रहा है इसलिए वह शहजादों को आगे बढ़ने से रोकने की चिंता करने लगे हैं।

दूसरी ओर से बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने भी ईंट का ज़बाब पत्थर से देने की कोशिश करते हुए कटाक्ष कर दिया कि मोदी जी को शुरू से ही बिहारियों से चिढ़ रही है , इसलिए मोदी जी बिहारी नेताओं को लगातार निशाने पर रखते आ रहे हैं।

हालांकि , उसी दिल्ली की एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस की राजनीतिक चुनावी दुकानदारी को जजिया टैक्स का वाहक बताने का कांग्रेसी प्रयास बताया तो दूसरी ओर से तीसरे चरण के चुनाव के मद्देनजर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहारियों को स्मरण कराने का प्रयास किया कि किस तरह अब बिहार की महिलाएं बेखौफ होकर शाम से रात तक में भी घरों से बाहर निकल रहीं हैं और लगे हाथ भाजपा के सम्राट चौधरी ने तो यहां तक कह दिया कि वोट जिहाद को बढ़ावा देती हुई इंडी महागठबंधन लोकतंत्र और संविधान का अपमान करने पर उतारू हो कर जाति और धर्म के नाम पर इस बार का लोक सभा चुनाव लड़ रही है।

लोक सभा चुनाव के मद्देनजर नेताओं और राज नेताओं के ऐसे बोल के बीच जब एक खबर फैली कि जिलों के वकीलों से लेकर हाई कोर्ट तक के वकीलों ने अचानक इंडी महागठबंधन को समर्थन देने की अपील बिहार वासियों से कर दी है तो जाहिर सी बात है कि बिहार के वोटरों के मन मस्तिष्क को थोड़ी राहत महसूस हुई है लेकिन इसके बावजूद भी इंडी महागठबंधन की जीत को लेकर संशय की स्थिति से बिहारी उबर नहीं पा रहे हैं।

तीसरे चरण के चुनाव में बिहार के पांच लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रों अररिया , मधेपुरा , सुपौल , झंझारपुर और खगड़िया में मतदान होने हैं। पांचों लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रों में कुल मिलाकर 54 उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं जिनकी किस्मत का फैसला कुल 9848 बूथों पर मतदाता ईवीएम का बटन दबाकर 7 मई को करेंगे लेकिन सर्वाधिक गौर करने वाली बात है कि सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर इन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में लगभग 60 हजार की संख्या में अर्द्ध सैनिक बलों को तैनात किया गया है।



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